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तीर्थोद्धार के सम्बन्ध में सब से पहिले पुरातत्व विभाग नई देहली के सुपरिटेंडेंट साहिब श्री J. H. S. वैडिंग्टन साहिब (M. B. E. F. S. A ) तथा आदरणीय श्रीयुत सीतारामचन्द्रन जी इंचार्ज कांगड़ा वैली तथा शर्मा साहिब आदि प्रेमी महानुभावों को हार्दिक धन्यवाद है जो समय समय पर हमें हर प्रकार की सुविधा देते रहे हैं और प्रेम पूर्वक व्यवहार करते रहे हैं और तीर्थ को उन्नति में यथायोग्य सहयोग और सहायता करने के शुद्ध भाव रखते हैं।
जिस पावन तीर्थ की उन्नति तथा पुनरुद्धार के शुभ कार्य में अपनी प्रेरणा और आशीर्वाद दे कर स्वर्गवासी गुरुदेव श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर भगवान् तथा वर्तमान जैनाचार्य शान्तमूर्ति श्री विजय समुद्र सूरि जी महाराज ने अपने सेवकों को खड़ा करने में उत्साहित किया उस तीर्थ के उद्धार में पूर्ण सहयोग देने वाले और हम जैसे साधारण सैनिकों का नेतृत्व करने वाले अपने कुछ सेनानायकों का धन्यवाद करना भी मेरा परम कर्तव्य हो जाता है ।
आदरणीय सेठ साहिब श्री कस्तूरभाई लालभाई जी अहमदा बाद, माननीय श्री फूलचन्दभाई शामजी बम्बई, सेठ श्री मोहन लालभाई चौकसी बम्बई, सेठ रमणीकलाल जी पारिख बम्बई आदि सज्जनों के प्रेम की जितनी सराहना की जाय कम है जिन्हों ने इतनी दूरी पर विराजमान होते हुए भी हमें पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन देकर उत्साहित किया है | धर्मानुरागी ला बाबूराम जी जैन एडवो - क्रेट जीरा प्रधान जैन महासभा पंजाब, प्रिय सैक्रेटरी साहिब श्रीमान् बाबू नेमचन्द जी जैन जीरा वाले, सर्व प्रिय नेता बाबू ज्ञानदास जी जैन सीनियर - सबजज, आदरणीय सेठ श्री कीका भाई रमणलाल जी
पारिख, श्रीयुत प्रो० बढ़रीदास जी देहली, ला० खुशी राम जी साहिब
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