SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ___९० ] पेथडशाहे देवगिरिमा [जिनप्रभसूरि अने हजार घोडाओवाळो तथा १२००० बार हजार हाथीओवाळो राम नामनो राजा हतो. तेनो धी-सख ( मंत्री) हेमादि हतो, जेनी पासे घj हेम विगेरे हतुं. आश्चर्य छे के जेणे कृपणताथी पोतानुं पाप पण याचकोने आप्युं न हतुं. ते वखते त्यां ब्राह्मणोनुं एकछत्र राजा १ उपर सूचवायेल हेमादि ए देवगिरि-राज्यमां दक्षिणना इतिहासमां सुप्रसिद्ध हेमाद्रि एक नामांकित अधिकारी थइ गयेल छे. तेनो परिचय करतां पहेला आपणे गुजरात अने दक्षिणनो तत्कालीन पूर्व इतिहास लक्ष्यमां लेवो जोइए. विक्रमनी १३मी सदीना उत्तरार्धमा देवगिरिना राजा सिंहणे मोटुं सैन्य मोकली गुजरात पर चडाइ करवानी एक तक साधी हती, परंतु गुर्जरेश्वर-महामात्य मंत्रीश्वर वस्तुपालनी-वीरता. भरी समयसूचकताथी तथा महामंडलेश्वर वाघेला लावण्यप्रसाद अने महाराणा वीरधवलनी वीरताथी तेमां तेने सफलता मळी जणाती नथी.भरुचनी सरहदमां-नर्मदा अने तापी नदीना तट पर बने पक्षनां सैन्योए भयानक परिस्थिति उपस्थित करवा छतां अंते संधि थयार्नु सूचन मळे छे. गूर्नरेश्वर-पुरोहितकवि सोमेश्वरे रचेली कीर्तिकौमुदी ( सर्ग ४, श्लो० ४३-४७), जयसिंहसूरिए रचेल हम्मी. रमदमर्दन नाटक, तथा मं. वस्तुपालनो ऐ. परिचय कगवतां केटलांक अन्य साधनो परथी ए जणाय छे. गा. ओ. सि. तर फथी प्रकाशित थयेली लेखपद्धतिमा यमलपत्रना उदाहरण तरीके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034907
Book TitleJinprabhsuri ane Sultan Mahommad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchandra Bhagwan Gandhi
PublisherJinharisagarsuri Gyanbhandar
Publication Year1939
Total Pages204
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy