________________
बीकानेर के व्याख्यान ]
[३३३
----
----
-
--
-
शक्तियाँ चैतन्य शक्ति के सामने कुछ भी नहीं हैं- नगण्य हैं।
डाक्टर नकली आँख बनाते हैं, लेकिन उससे दिखाई नहीं देता । परन्तु जिन आँखों से आप देख सकते हैं, जिनकी उत्पत्ति स्वाभाविक रूप से, अन्न से, या माता-पिता के रक्त से हुई है, जो आँखें आपकी आन्तरिक शक्ति से बनी हैं, उन सरीखी आँखें कोई बना सकता है ? 'नहीं' चींटी और रेल में से किस की शक्ति अधिक है ? 'रेल की!'
क्योंकि आप समझते हैं कि रेल सवारी का काम देती है और हजारों मन बोझ खींचती है लेकिन चींटी तो बेचारी चींटी ही रही ! लेकिन यह उत्तर देते समय आपने अपनी बुद्धि का ठीक उपयोग नहीं किया। वास्तव में जो शक्ति चींटी में है वह रेल में कदापि नहीं हो सकती। रेल जड़ है। वह घुमाने से घूमती है, चलाने से चलती है। उसे चलाने के लिए पटरी, ड्राइवर आदि की आवश्यकता होती है और इंजिनियर उसे बनाता है। चींटी बिना किसी की सहायता के स्वयं ही दीवाल पर चढ जाती है और उतर आती है । क्या रेल इस प्रकार चढ़-उत्तर सकती है ?
'नहीं'
तो फिर विचार करना चाहिए कि चींटी और रेल में स्वतंत्र शक्तिसम्पन्न कौन है ? आप परतंत्रता के संस्कारों में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com