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[ जवाहर - किरणावली
उससे रस, रक्त आदि नहीं बनेगा । चैतन्य शक्ति के संयोग से अन्न के द्वारा रक्त आदि धातुओं के निर्माण का कार्य प्रतिदिन, यहाँ तक कि प्रतिक्षण, होता रहता है। अपनी चेतना में ऐसी. अद्भुत शक्ति है । मगर हम लोग इसका विचार ही नहीं करते कि चेतन आत्मा में कैसी-कैसी शक्तियाँ भरी हैं। रोटी से रक्त बनता है, इस बात को छोड़ कर अब आगे की बात पर विचार कीजिए । यह देखिए कि उस रोटी से आत्मा में कौन-कौन-सी शक्तियाँ निखरती हैं। दूध का आहार नहीं किया गया हो और वह पात्र में पड़ा हो तो जगत् के किसी भी वैज्ञानिक में यह शक्ति है कि वह उसे आँख के रूप में परिणत कर सके ? जिन आंखों से श्राप देखते हैं, उन्हें बनाने की किसी में ताक़त है ? लेकिन आपका चिदानन्द नित्य ही बनाता रहता है ।
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जब आप चैतन्य शक्ति के द्वारा जड़ से भी सब काम करा सकते हैं, जड़ भी आपकी चेतन्य शक्ति से मिल जाता है और उस जड़ का भी आपके चैतन्य से शक्ति मिलती है । तो फिर क्या आश्चर्य है कि आत्मा, परमात्मा से लगकर परमात्मा बन जाता है ? जब उस अन्न को आपकी आत्मा शक्ति प्रदान करती है तो आत्मा को परमात्मा शक्ति क्यों नहीं देगा ?
मित्रो ! संसार की समस्त शक्तियों से आपकी चैतन्य शक्ति बढ़कर है और अलौकिक है। जड़ शक्तियों को एकत्रित करके अगर आप चैतन्य शक्ति से तोलेंगे तो पता चलेगा कि अन्य
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