________________ बीकानेर के व्याख्यान ] [315 ----- -- -- - -- - जंगल में सेठ ने अपने सब साथियों की रक्षा की / सब को अपने खेमे में रक्खा / सब की सार-संभाल की / परन्तु मुनि गुफा में बैठे थे, इस कारण धन्ना सेठ उनकी संभाल नहीं कर सके / इस कारण रात भर उन्हें मुनि की चिन्ता लगी रही / प्रातःकाल होते ही सेठ, मुनि के पास पहुंचे और आँखों में आँस भर कर उनसे क्षमाप्रार्थना करने लगे। मुनि ने कहा-हम तेरी सहायता से बड़े मज़ में आये हैं / तू चिन्ता क्यों करता है ? इन मुनि की सेवा के प्रभाव से धन्ना सेठ ने तीर्थकर गोत्र की नींव डाल ली। मित्रो ! उनकी यह कथा पाप को हरण करेगी या नहीं? आप गरीबों की ओर ध्यान दो और ऐसा उपाय करो कि कोई भूखों न मरे / गरीबों में आज जो अशक्तता है वह आप लोगों में सादगी न होने के कारण है। आप सादगी को अपनाएँ तो गरीबों की दुर्दशा बहुत कुछ दूर हो सकती है। ऐसा करने पर ही परमात्मा की भक्ति सार्थक होगी। प्रभु की कथा का यही आदेश है। प्राणीमात्र के सुख के लिए यत्नशील होना और स्वार्थभावना का परित्याग कर देना ही परमात्मा की भक्ति करना है। ऐसा करने वाले निष्पाप और निस्ताप बनते हैं। बीकानेर, 13-8-30 / Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com