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________________ 314] [जवाहर-किरणावली सिकुड़ता और काँपता रहे और आपकी पेटियाँ कपड़ों से भरी पड़ी रहें, यह कितनी घोर निष्ठुरता है ? ऐसा निष्ठुर व्यक्ति कभी दयाधर्म पा सकता है ? 'नहीं !' आश्चर्य की बात तो यह है कि आजकल के कतिपय धर्मगुरु कहलाने वाले लोग भी यह शिक्षा देते हैं कि तुम तो मौज़ करो और दूसरे मरते हैं तो उन्हें मरने दो। उनका कथन है कि जो मोटर या बग्घी में बैठा है वह पुण्यवान है और जो थका हुआ पड़ा है वह पापी है। परपी अपने कर्म खपाता है। उसे सहायता देकर कर्म खपाने में बाधा क्यों पहुँचाते हो ? कैसी अनोखी शिक्षा है ? ऐसे पाखंडों को चलते भी देखोगे और डूबते भी देखोगे। वास्तविक बात तो यह है कि जिसका नैतिक जीवन पतित है उसका आध्यात्मिक जीवन ऊँचा हो ही नहीं सकता / अतएव जीवन को नीतिमय बनाओ / हृदय में दीन-दुखियों के प्रति प्रेम रक्खो, सत्य का आचरण करो, सादगी से रहो और परमात्मा की कथा का म्मरण करो। अपने संघ को साथ लेकर जब धन्ना सेठ व्यापार के लिए जा रहे थे, तब एक मुनि ने कहा-इस जंगल को पार करने के लिए हम भी तुम्हारे साथ चलते हैं / धन्ना सेठ ने कहाअवश्य चलिए। आपके साथ चलने से बढ़कर बात और क्या होगी / मेरा अहोभाग्य है कि आप साथ चल रहे हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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