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________________ बीकानेर के व्याख्यान ] [313 आशा छोड़कर उद्योगी बनो। उन्होंने स्वयं कला और विज्ञान द्वारा लोगों को स्वावलम्बी बनना सिखलाया था। इसी से प्रजा स्वतंत्र जीवन का लाभ लेने वाली बन सकी / उन्होंने अपने लम्बे जीवन का एक बड़ा भाग प्रजा के नैतिक जीवन का सुधार करने में लगाया। जब वे नैतिक जीवन की शिक्षा दे चुके तो बाद में उन्होंने धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन का पाठ पढ़ाया। नैतिक जीवन के अभाव में धार्मिक जीवन व्यतीत नहीं किया जा सकता। इसी कारण भगवान् ने धार्मिक जीवन की शिक्षा देने से पहले जीवन को नीतिमय बनाने की शिक्षा दी थी। आध्यात्मिक जीवन ऊँचा अवश्य है पर उसका अाधार तो नैतिक जीवन ही है ! धन्ना सेठ ने ढिंढोरा पिटवा दिया था कि जिसके पास कपड़ा, भोजन, पूंजी या सवारी न हो, वह मुझ से ले ले। मेरे साथ जो चलना चाहे, चल सकता है। परदेश में जो खर्च होगा, मेरा होगा और जो आमदनी होगी, कमाने वाले की होगी। ऐसा करने से गरीब-अमीर के बीच की दीवाल टूटी या मज़बूत हुई ? इसलिए मानतुंगाचार्य कहते हैं-'प्रभो! आपकी कथा का रहस्य समझने वाले के भी पाप धुल जाते हैं।' अगर आप अपने पाप धोना चाहते हैं तो आप भी गरीबों की सुध लीजिए। एक गरीब आपके पास भूख का मारा तड़फड़ाता रहे और बादामपाक उड़ाता रहे, दूसरा कड़ाके की सर्दी में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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