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________________ बीकानेर के व्याख्यान ] [306 चूरा हो जावे, लेकिन लोग अमीरों की ही सेवा करते हैं और उनके लिए ही थाल सजाते हैं। पर गरीबों के प्रति ध्यान नहीं देते / यह बड़ी कृतघ्नता है। अमीर और गरीब के बीच की दीवाल गिराने के लिए ही शास्त्र की कथाएँ हैं। श्रीकृष्णाजी ने गरीब बूढ़े की ईटें उठवाई तो ऐसा करने से वह दीवास मज़बूत हुई या ट्टी ? 'टी!' घरका कोई आदमी बीमार हो जाय तो छैल छबीले लोगों को वह भी प्यारा नहीं लमता। ऐसे समय में गरीब ही सेवा करते हैं। छैल छबीली बाई को बीमार सासू को सेवा कब अच्छी लगेगी ? बहुत हुआ तो वह किसी नौकरानी को रख देगी, मगर नौकरानी भी तो गरीबिनी ही है / तो फिर दया किस पर होनी चाहिए-गरीबों पर या अमीरों पर? कौन अधिक दया का पात्र है ? __ आप मैनचेस्टर का मलमल पहनने में अपना गौरव समझते हैं। और खादी पहनने में गौरवहीनता मानते हैं। तो आपके दिल में दया कहाँ रही ? जिस दिन आपके दिल में दया उपजेगी उस दिन आपके शरीर पर बारीक वस्त्र नहीं रहेंगे। भारत की बहुत-सी बहिनें, विदेशी वस्त्रों पर पिकेटिंग करने के कारण अपने कोमल शरीर पर लाठियाँ और बेंत सहन करती हैं और आप मर्द होकर भी बेपरवाह हैं ? अगर आप पिकेटिंग नहीं कर सकते तो कम से कम स्वयं तो चर्वी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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