________________ 308 ] [ जवाहर-किरणावली दीवाल को गिराने के लिए ही संत महात्मा कहते हैं कि गरीबों के अनुकूल रहो, प्रतिकूल मत रहो। अनुकूल रहने वाला ही पुण्यवान है। ____ अमीरों को यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें गरीबों की क्या परवाह है ! उनके विना हमारा कौन-सा काम अटकता है ? वास्तव में अमीर लोग गरीबों की सहायता के विना एक दिन भी नहीं जी सकते। धर्म तो ऊँधी चीज़ है। पर मैं मैतिक जीवन के लिए ही कहता हूँ। नैतिक जीवन में गरीबों की सहायता की पद-पद पर आवश्यकता रहती है। अमीरों की विशाल और सुन्दर हवेलियाँ गरीबों के परिश्रम ने ही तैयार की हैं, अमीरों का षट्स भोजन गरीबों के पसीने से ही बना है। अमीरों के बारीक और मुलायम वस्त्र गरीबों की मिहनत के तारों से ही बने हैं। याद रक्खो, आध्यात्मिक जीवन का पाया नैतिक जीवन है। जिसकी सहायता के विना एक दिन भी काम नहीं चल सकता उसकी सहायता को भुला देना और यह कहना कि गरीबों के बिना हमारा क्या काम अटकता है, घोर कृतघ्नता है / यह कृतघ्नता नैतिक पतन को सूचित करती है। जैन शास्त्रों में पृथ्वी पानी आदि की दया इसलिए भी बतलाई गई है कि उनकी सहायता से ही जीवन टिकता है। जिनकी सहायता पर जीवन निर्भर है, समय पर उनकी याद न करना कृतघ्नता है। विवाह के अवसर पर गरीबों का चाहे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com