________________ 310] [ जवाहर-किरणावली लगे विदेशी वस्त्रों के पहनने का परित्याग कर सकते हैं ? विदेशी वस्त्रों के व्यवसाय का त्याग तो कर सकते हैं ? मगर आपको तो पैसाचाहिए, देश रहे या डूबे, इस बात की चिन्ता ही क्या है ? धरना देने वाली बहिनें जो बुरी तरह मार खा रही हैं उनकी उस मार-पीट का कारण कौन है ? व्यापारी अमर विदेशी वस्त्र न घेचे और खरीददार न खरीदें तो उन्हें क्यों इतना कष्ट सहन करना पड़े ? मगर लोग पैसे के लोभ में पड़करे दया भूल गये हैं, धर्म को विसर गये हैं / श्राप मर्द हैं और आपकी मां-बहिने पापमय विदेशी वस्त्रों का व्यवहार बन्द कराने के लिए मार खा रही हैं / फिर भी आपको लज्जा नहीं आती? यहां तक कि आप उन वस्त्रों का त्याग नहीं कर सकते / अहंकार त्याग कर देश की भलाई के लिए मार खाने वाली बहिनों की तपस्या कम नहीं है। महारानी देवकी विना अपराध हथकड़ी-बेड़ी पहनकर कारागार में रहीं, चन्दनबाला विना अपराध हथकड़ी-बेड़ी में जकड़ी भौंयरे में बन्द रही, अंजना ने विना अपराध घोर अपमान सहन किया, तो क्या इन देवियों के नाम प्रातः-स्मरणीय नहीं हो गये ? जिन देवियों ने घोर संकट सहकर भी सत्य को नहीं छोड़ा है, उनमें कैसी शक्ति रही होगी, इस बात पर विचार करो। थोड़े दिनों पहले किसी को खयाल ही न होगा कि बहिनें इस प्रकार लाठियाँ की मार खाएँगी, पर सत्य न मालूम कब किस रूप में प्रकट होता है ! Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com