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________________ बीकानेर के व्याख्यान ] [ ३०३ इस संबंध में आचार्य कहते हैं कि जिसके प्रभाव से सब पाप धुल जाते हैं, उस प्रभु की प्रसंगकथा भी सब पापों का नाश कर सकती है, यहाँ तक कि उसका नामकीर्तन भी पापों को नष्ट कर देता है । जिस प्रभु का नामकीर्तन और प्रसंगकथा भी पापमोचिनी है उसके स्तोत्र के प्रभाव का कहना ही क्या है ! प्रभु के स्तोत्र में वह शक्ति है कि अन्तःकरण की बलवती प्रेरणा से स्तोत्र बनाने वाला स्वयं इन्द्र की स्तुति का पात्र बन जाता है । जिनके स्तोत्र बनते हैं उनकी कथा भी महान् होती है । इसी कारण स्तोत्र भी महान बनते हैं । 1 इतिहास वह है जिसमें बीती बातों का वर्णन हो । इतिहास के लिखने में तो थोड़ी ही देर लगती है और परिश्रम भी कम करना पड़ता है, लेकिन इतिहास में वर्णित कार्यों को करने में कितना परिश्रम हुआ होगा ? कितना समय लगा होगा ? किसी व्यक्ति के चरित को ही लीजिए । चरित की रचना तो सहज ही की जा सकती हैं मगर चरित में लिखित बातों का अमल करने में चरितनायक को कितना परिश्रम करना पड़ा होगा ? कल्पना कीजिए - किसी राजा ने एक सुन्दर और विशाल महल बनवाया। दूसरे आदमी ने उसका वर्णन लिखा कि इस महल में इतने कमरे, इतनी खिड़कियाँ और इतने द्वार हैं, आदि -आदि । बस, मकान की कथा तो इतने में ही समाप्त हो गई; मगर विचार कीजिए कि महल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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