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[ जवाहर-किरणावली
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वनाने में कितना श्रम और समय लगा होगा ? इस प्रकार विचार करने पर आपको भगवान् की कथा की महिमा ज्ञात होगी। महापुरुषों की कथा पापों को हरण करने वाली होती है। और जिनकी कथा पापों को हरण करने वाली होती है, उन्हीं का स्तोत्र महान कल्याणकारी होता है।
आचार्य कहते हैं - परमात्मा सम्बन्धी कथा भी पापों का विनाश करने वाली होती है। जैसे कमल को विकसित करने के लिए सूर्य तो दूर रहा, उसकी प्रभा ही पर्याप्त है, उसी प्रकार भगवान् की स्तुति का तो कहना ही क्या है, उनकी कथा भी पापों का नाश करने वाली है। जिसकी कथा भी पापों को हरण कर सकती है, उसका स्तोत्र पापों का क्यों विनाश करेगा? तात्पर्य यह है कि स्तोत्र सूर्य के समान है और कथा प्रभा के समान । अतएव पापों को हरने के लिए कथा ही काफी है। गीता में कहा है
जन्म कर्म च मे दिव्यं-मेवं यो वेत्ति नन्वतः ।
स्यक्रवा देवं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽजुन ।। अर्थात्-जिस दिव्य दृष्टि से मेरा जन्म और कर्म जानने योग्य है, उस दिव्य दृष्टि से जो मेरे जन्म और कर्म को जान लेता है, वह देह त्याग कर पुनर्जन्म धारण नहीं करता।
जिनकी कथा से पाप-नाश होता है और फिर जन्म नहीं लेना पड़ता, उनकी कथा कैसी होती है, यह भी जान लेना कावश्यक है।
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