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[ जवाहर-किरणावली
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दूँगा, तब पाण-तिमिर किस प्रकार ठहर सकेगा ? ___ आचार्य ने यह बात किस भावना से कही है, यह तो कोई पूर्ण पुरुष ही जान सकता है । लेकिन जब पंख मिले हैं तो उड़ने का अधिकार भी मिला है। अतएव प्रत्येक व्यक्ति इस विषय पर विचार कर सकता है। यहाँ विचारणीय यह है कि सूर्य से अंधकार के नाश होने की बात अनुभव से सिद्ध है । हम नित्य ऐसा देखते हैं । मगर परमात्मा की स्तुति की है लेकिन पापों का नाश अब तक भी नहीं हुआ ! अगर भगवान् अनन्त प्रकाश के अनुपम पुंज हैं और उनके लोकोत्तर प्रकाश के सामने पाप नहीं ठहर सकते तो फिर संसार का सब पाप नष्ट क्यों नहीं हो गया? इस प्रकार भगवान् की स्तुति से ही पापों का नाश हो जाता है तो साधु बनना, श्रावक के व्रत धारण करना, तपस्या करके शरीर को सुखाना, ध्यान-मौन आदि का आचरण करना वृथा है । काम, क्रोध, मोह आदि को जीतने के लिए कठोर साधना करने की भावश्यकता ही क्या है ? बस, भगवान् की स्तुति की और पाप समाप्त हो जाने चाहिए। अगर पापों का नाश नहीं होता तो फिर स्तुति के विषय में यह कहना कैसे ठीक होगा ?
इस प्रकार संदेह करने वालों में कुछ लोग वे हैं जिन्हें परमात्मा पर भरोसा नहीं हैं । बहुतों को परमात्मा सम्बन्धी और प्रात्मा संबंधी आस्था ही नहीं है । वे नास्तिक हैं। कुछ
आस्तिक लोग भी हैं जो ऐसा सम्देह करते हैं। जिन्हें परमात्मा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com