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________________ २२८ ] [ जवाहर - किरणावली त्यौहार है | आनन्द मनाने का दिन है । प्रसन्न होने का अव सर है । फिर आप लोग आपस में एक-दूसरे की होली क्यों कर रहे हैं ? आप दोनों पड़ोसी हैं। एक के बिना दूसरे का काम नहीं चल सकता। दोनों लड़कियां खेल रही थीं। एक के कूदने से दूसरी के कपड़े गंदे हो गये तो कौन बड़ी बात हो गई ? इन नादान बच्चों के पीछे आप बड़े-बड़े क्यों झगड़ते हैं ? इससे आपकी ही हँसी होती है । वृद्धा के बहुत समझाने पर भी वे न माने । लड़ाई का जोश इतना तीव्र था कि बुढ़िया की बात सुनने की किसी ने परवाह न की । खूब तपे हुए तवे पर पानी के कुछ बूँद कोई असर नहीं करते । इसी प्रकार तीव्र क्रोध के उत्पन्न होने पर शांति की बात व्यर्थ हो जाती है । इधर दोनों घर वाले झगड़ रहे थे, उधर मौका देखकर दोनों लड़कियाँ फिर घर से बाहर निकल पड़ीं। वे वहाँ पहुँचीं जहाँ पानी बह रहा था। बहते पानी को रोकने के लिए दोनों ने मिलकर रेत का बाँध बनाया । पानी रुक गया । रुके पानी में दोनों लड़कियों ने घास का तिनका या लकड़ी का टुकड़ा डाला। उसे पानी में गिरते देखकर दोनों उछलने लगीं । एक ने कहा- देख, देख, मेरी नाव तैर रही है ! दूसरी ने कहा- और मेरी भी तैर रही है। देख ले न ! संयोगवश वह वृद्धा उधर से ही निकल पड़ी। उसने देखा - इन लड़कियों को लेकर उधर झगड़ा मच रहा है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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