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________________ बीकानेर के व्याख्यान] [२२७ अच्छे कपड़े पहनाये थे। बच्चों को स्वभावतः घर प्यारा नहीं लगता। वे बाहर घूमना-फिरना और खेलना बहुत पसंद करते हैं । शायद अपने शरीर का निर्माण करने के लिए उन्हें प्रकृति से यह अव्यक्त प्रेरणा मिलती है। अगर बालकों की तरह आप भी घर से उतना प्रेम न रक्खें तो आपको पता चलेगा कि इसका परिणाम कितना अच्छा होता है। देवकी और यशोदा कपड़े पहनकर अपने-अपने घर से बाहर निकलीं। वर्षा होकर बन्द हो चुकी थी किन्तु पानी गलियों में अब भी बह रहा था। देवकी और यशोदा उसी बहते पानी में खेलने लगीं। दोनों ने पानी में अपने-अपने पैर छपछपाये। पैरों के छपछपाने से कीचड़भरा पानी उछला और कपड़ों पर धब्बे पड़ गये। दोनों के कपड़ों पर धब्बे पड़ गए हैं, यह देखकर दोनों एक दूसरी को आपस में उलहना देने लगीं। उलहना देती हुई वह अपने-अपने घर लौटीं। कीचड़ से भरे कपड़े देखकर और बालिकाओं का आपस में उलहना देना सुनकर दोनों घर वाले झगड़ने लगे। यद्यपि झगड़े का कोई ठोस आधार नहीं था, और अगर दोष समझा जाय तो दोनों बालिकाओं का दोष बराबर ही था; परन्तु दोनों के माँ-बापों के दिल में पहले की कोई ऐसी बात थी कि उन्हें लड़ने का बहाना मिल गया । दोनों ओर से वाग्युद्ध हो रहा था कि इतने में एक वृद्धा वहाँ आ पहुँची। उसने दोनों घर वालों से हाथ जोड़कर कहा-आज होली का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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