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________________ १८०] [ जवाहर-किरणावली बही मँगवाकर देखी गई। राजा ने पाया कि वास्तष में अभियोग निराधार है। इसी प्रकार और दो-चार बातों की जाँच की गई। सब ठीक पाया गया। सेठजी बीच-बीच में कह देते थे-हाँ, इतनी भूल प्रधानजी से अवश्य हुई है और वे इसके लिए मेरे सामने पश्चात्ताप भी करते थे। आपसे भी कहना चाहते थे मगर शायद लिहाज़ के कारण नहीं कह सके। राजा-प्रधान ने पश्चात्ताप भी किया था ? मगर इतने बड़े काम में भूल हो जाना संभव है। वास्तव में मैंने प्रधान के साथ अनुचित व्यवहार किया है। किन्तु अब तो उसका मिलना कठिन है ? कौन जाने कहाँ चला गया होगा? सेठ-अगर आप उनके सम्मान का वचन दें तो मैं ला सकता हूँ। . राजा-क्या प्रधान तुम्हारी जानकारी में हैं ? सेठ-जी हां । मगर विना अपराध सिर कटाने के लिए मैं उन्हें नहीं ला सकता। श्राप न्याय करने का वचन दें तो हाजिर कर सकता हूँ। राजा-मैं वचन देता हूँ कि प्रधान के गौरव की रक्षा की नायगी। यही नहीं वरन् चुगलखोरों का मुँह काला किया जायगा। सेठ-महाराज, अपराध क्षमा करें । प्रधानजी मेरे घर पर हैं। राजा-सारे नगर में उनकी बदनामी हो गई है । उसका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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