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बीकानेर के व्याख्यान ]
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प्रकार अगर पुराने प्रधान की ही जांच की जाय तो क्या ठीक न होगा? वह नया आयगा तो पहले अपना घर बनायगा । उपद्रव मचा देगा। शायद आपको फिर पश्चात्ताप करना पड़े। पुराने प्रधान से अभियोगों के विषय में आप स्वयं पूछते और संतोजनक उत्तर न मिलने पर यहीं कैद कर लेते तो क्या हानि थी? मगर आपने उस खानदानी प्रधान के पीछे पुलिस लगा दी। यह कहाँ तक उचित है, आप सोचें ।
सेठ की बात राजा को ठीक मालूम हुई। उसने कहासेठ, तुम राज्य के हितचिन्तक हो। इसी कारण तुम्हें राजा
और प्रजा के बीच का पुरुष नियत किया है और सेठ की उपाधि दी गई है। मगर प्रधान न मालूम कहाँ चला गया है ! वह होता तो मैं उससे सब बात पूछता।
सेठ-प्रधानजी मेरे आत्मीय मित्र हैं। मुझे उनकी सब बातों का पता है। उनके अभियोगों के विषय में मुझसे पूछे तो संभव है, मैं समाधान कर सकूँ।
राजा-प्रधान तुम्हारे मित्र हैं ?
सेठ-मैंने न तो कभी छदाम दी है, न ली है। आपके प्रधान होने के नाते और मनुष्यता के नाते उनसे मेरी मित्रता है। मित्रता भी ऐसी है कि उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं लिपाई।
राजा-अच्छा, देखो, प्रधान ने इतना हज़म कर लिया है।
सेठ-ऐसा कहने वालों ने गलती की है। फलां वही मँगवा कर देखिए तो समाधान हो जायगा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com