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बीकनेर के व्याख्यान
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___ गांधीजी ने धनुर्धर अर्जुन का अर्थ 'क्रिया' किया है और योगेश्वर कृष्ण का अर्थ 'ज्ञान' किया है। योगेश्वर कृष्ण के आदेश से अर्थात् ज्ञान के आदेश से क्रिया जहाँ की जायगी वहीं सफलता प्राप्त हो सकेगी। श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने बहुत भारपूर्वक लिखा है कि आज हम लोग योगाध्याय से निकलकर गड़वड़ाध्याय में पड़ गये हैं। आज हमारे लिए पुस्तकें पढ़कर समझना कठिन हो गया है कि वास्तविक ज्ञान क्या है ?
इस ज़माने में भी बहुत लोग हैं जो कहते हैं कि पढ़ेलिखे आदमी ज्यादा खराब होते हैं, इसलिए पढ़ाना बुरा हैं। स्त्रियों को तो मूर्ख रहना ही अच्छा है। उन्हें ज्ञान सिखाने से हानि होती है। ___मैं पूछता हूँ कि यह अक्षरविद्या पुरुषों से तो निकली नहीं है, स्त्रियों से ही निकली है, फिर अक्षरज्ञान को पैदा करने वाली स्त्रियां ही अक्षरशान न पढ़ें, इस विधान का कारण क्या है ? भगवान् ऋषभदेव की दो कन्याएँ थीं। एक का नाम ब्राह्मी और दूसरी का नाम सुन्दरी था । भगवान् ने सर्वप्रथम दोनों पुत्रियों को अक्षरमान सिखलाया था । इन दोनों के नाम से ब्राह्मी लिपि और सुन्दरी गणित नाम प्रचलित हुआ। आप लोग आज स्त्रियों को पढ़ाना हानिकारक समझते हैं तो क्या आप लोगों में भगवान् ऋषभदेव से अधिक बुद्धि है ? ब्राह्मीलिपि के बावन अक्षरों का ही यह प्रताप है Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com