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________________ १५८ ] [ जवाहर - किरणावली I कि आप हजारों लाखों वर्ष पूर्व की बात जान रहे हैं। एक अंगरेज विद्वान् ने ब्राह्मीलिपि के बावन अक्षरे की तुलना जहाज के साथ करते हुए लिखा था कि ये बावन अक्षर जहाज हैं । जैसे जहाज एक द्वीप का माल दूसरे द्वीप में पहुँचाता है उसी प्रकार यह बावन अक्षर पूर्वकालीन पुरुषों की बातें हमारे पास पहुँचाते हैं । इन बावन अक्षरों की ही महिमा है कि हम अपने पूर्वजों के चरित और ज्ञान-विज्ञान को आज जान सकते हैं । मित्रो! जिसे शास्त्र रूपी चतु प्राप्त नहीं है वह अंधा है । हजारों वर्ष पहले की बातें शास्त्र द्वारा ही जानी जा सकती हैं । दूर से दूर की बातें भी शास्त्र ही बतलाता है । भगवान् ऋषभदेव आदि का चरित आपने कैसे जाना ? सिद्धशिला, नरक और स्वर्ग का वृत्तान्त आपको कैसे विदित हुआ ? इन सब वस्तुओं को इस भव में आँखों द्वारा नहीं देखा है। शास्त्रों से ही इनका ज्ञान हुआ है । अगर बावन अक्षरों का शास्त्र हमारे आपके सामने न होता तो क्या दशा होती ? हम लोग न जाने किस बीहड़ अंधकार में भटक रहे होते । मगर ब्राह्मी लिपि का ही यह प्रताप है कि हमें उस अंधकार में नहीं भटकना पड़ रहा है और हमें ज्ञान का आलोक प्राप्त है । ब्राह्मी कन्या थी, पुरुष नहीं थी । फिर आज की कन्याएँ पढ़ने-लिखने से किस प्रकार बिगड़ जाएँगी ? श्रापको जो बात सूझ रही है वह क्या भगवान् ऋषभ देव को नहीं सूझी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com -
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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