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[जवाहर-किरणावली
चन्द्रमा की बड़ाई कला से ही है। अमावस्या के दिन चंद्रमा कहीं दूसरे लोक में नहीं चला जाता। सिर्फ उसमें कला नहीं रहती। इसलिए आपको सोचना चाहिए कि जिसमें कला न होगी वह अमावस्या के चन्द्रमा के समान होगा अथवा पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान होगा?
मेघकुमार ने बहत्तर कलाएँ सीखकर स्वतंत्र जीवन का बोध प्राप्त कर लिया था। उन्हें भोजन बनाना, वस्त्र, बनाना, घर बनाना, आभरण बनाना आदि प्रत्येक जीवनोपयोगी कला का भलीभांति ज्ञान था। __ मेघकुमार घर बनाना आदि समस्त कलाओं में पारंगत थे तो बने रहते । शास्त्र में इन सब बातों का उल्लेख करने की क्या आवश्यकता थी ? इसका उत्तर यही है कि शास्त्र में यह चरित देकर बतलाया गया है कि इस प्रकार का जीवन कभी परतंत्र नहीं हो सकता। मगर आपमें से अधिकांश लोग ऐसे निकलेंगे जो ऐसी एक भी क्रिया शायद न जानते होंगे जो जीवन की स्वतंत्रता के लिए उपयोगी हो । अलबत्ता कपट क्रिया करके पैसा कमाना लोग जानते हैं । लेकिन ऐसी क्रिया से पैसा इकट्ठा करने वाले के पास जब किसी कारण से पैसा श्राना बन्द हो जाता है, तब उसे हाय हाय करने के सिवाय और क्या चारा रह जाता है? आज जो हाय हाय मची हुई है, उसका प्रधान कारण यही है कि आज के लोगों का व्यापार भी स्वतंत्र नहीं है । जोपर.
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