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चाहिये।
पटना
पटना मौर्यो की प्राचीन राजधानी पाटलिपुत्र है । जैनियों का सिद्धक्षेत्र है । सेठ सुदर्शन ने वीर भाव प्रदर्शित करके यहीं से मोक्ष प्राप्त किया था। सुरसुन्दरी सदृश अभयारानी के काम-कलापों के सन्मुख सेठ सुदर्शन अटल रहे थे। आखिर वह मुनि हुये
और मोक्ष गये । स्टेशन के पास ही एक टेकरी पर चरणपादुकायें विराजमान हैं, जो यात्री को शीलवती बनने के लिये उत्साहित करती हैं। वहीं पास में एक जैन मन्दिर और धर्मशाला है। शिशुनागवंश के राजा अजातशत्रु, श्री इन्द्रभूति और सुधर्माचार्यजी के निकट जैन धर्म में दीक्षित हुए थे। उनके पौते उदयन ने पाटलिपुत्र राजनगर बसाया था और सुन्दर जिन मन्दिर निर्माण कराये थे। यनानियों ने इस नगर की खूब प्रशंसा की थी । मौर्यकाल की दिगम्बर जैन-प्रतिमायें यहाँ भूगर्भ से निकलती हैं। वैसी दो प्रतिमायें पटना अजायबघर में मौजूद हैं । दि० जैनियों के यहाँ ५ मन्दिर व एक चैत्यालय है । जैनधर्म का सम्पर्क पटना से अति प्राचीनकाल का है यहाँ से बिहार जाना चाहिये, जहाँ एक दि० जैन मन्दिर में दर्शनीय जिनबिम्ब हैं। वहाँ से बड़गांव रोड पर जाकर उतरे । स्टेशन से धर्मशाला २॥ मील दूर है।
राज
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