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बा० हरप्रसाद के धर्मशाला में ठहरना चाहिये । इस धर्मशाला के पास एक जिनचैत्यालय है, जिसमें सोने और चांदी की प्रतिमायें दर्शनीय हैं। अपने प्राचीन मनोज्ञ मन्दिरों के कारण ही यह स्थान प्रसिद्ध है । यहाँ १४ शिखिरबंद मन्दिर और १३ चैत्यालय हैं । एक शिखिर बंद मन्दिर शहर से ८ मील की दूरी पर मसाढ़ ग्राम में है और दो मन्दिर शिखिरबंद धनुपुरा में शहर से दो मील दूर हैं । यहीं पर धर्मकुंज में श्रीमती पं० चंदाबाई द्वारा संस्थापित "जैन महिलाश्रम" है, जिसमें दूर-दूर से आकर महिलायें शिक्षा ग्रहण करके योग्य विदुषी बनती हैं। वहीं एक कृत्रिम पहाड़ी पर श्री बाहुबलि भगवान् की ११ फीट ऊंची खड्गासन प्रतिमा अत्यन्त सुन्दर है । यहीं के एक मन्दिर में दि० जैन मुनिसंघ पर अग्निउपसर्ग हुआ था— अग्नि की ज्वालाओं में शरीर भस्मीभूति होते हुये भी मुनिराज शान्त और वीरभाव से उसे सहन करते रहे थे । जैन धर्म की यह वीरतापूर्णा सहनशीलता अद्वितीय है । वह पुरुषों में क्या ? महिलाओं - अबलाओं में भी वह आत्मबल प्रगट करता है कि धर्ममार्ग में अद्भुत साहस के कार्य प्रसन्नता से करजाती हैं । आरा जैनधर्म के इस वीरभाव का स्मरण दिलाता है। यहाँ चौक में श्रीमान् स्व० बाब देवकुमारजी द्वारा स्थापित 'श्रीजैन सिद्धान्तभवन' नामक संस्था जैनियों में अद्वितीय है। यहां प्राचीन हस्तलिखित शास्त्रों का अच्छा संग्रह है, जिनमें कई कलापूर्ण सचित्र और दर्शनीय हैं | आरा से पटना ( गुलजार बाग़ ) जाना
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