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कुकुमग्राम कुकुमग्राम अब कहाऊं गांव नाम से प्रसिद्ध है । गोरखपुर से वह ४६ मील की दूरी पर है । गुप्तकाल में यहां अनेक दर्शनीय जिनमन्दिर बनाये गये थे, जो अब खंडहर की हालत में पड़े हैं । उनमें से एक में पार्श्वनाथजी की प्रतिमा अब भी विराजमान है ग्राम में उत्तरकी ओर एक मानस्थम्भ दर्शनीय है, जिसपर तीर्थङ्करों की दिगम्बर प्रतिमायें अङ्कित हैं । इसे सम्राट चंद्रगुप्त के समय में मद्र नामक ब्राह्मण ने निर्माण कराया था इस अतिशययुक्त स्थान का जीर्णोद्धार होना चाहिये ।
श्रावस्ती ( सहेठ महेठ)
गोंडा जिले के अन्तर्गत बलरामपुर से पश्चिम १२ मील पर सहेठ महेठ प्राम ही प्राचीन श्रावस्ती है। यहां तीसरे तीर्थङ्कर संभवनाथजी का जन्म हुआ था । इसीलिये इस तीर्थ का जीर्णोद्धार होना चाहिये । यहां खुदाई में अनेक जिनमूर्तियां निकली हैं, जो लखनऊ के अजायबघर में मौजूद हैं । यहां का सुहृदध्वज नामक राजा जैनधर्मानुयायी था । उसने सैयदसालार को युद्ध में परास्त करके मुसलमानों के आक्रमण को निष्फल किया था ।
प्रारा
आरा विहार प्रान्त का मुख्य नगर है । चौक बाजार में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com