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कुण्डलपुर
कहते हैं कि यह कुण्डलपुर अन्तिम तीर्थङ्कर भ० महावीर का जन्मस्थान है, परंतु इतिहासज्ञ विद्वानों का मत है कि मुजफ्फरनगर जिले का बसाढ़ नामक स्थान प्राचीन कुण्डग्राम है, जहां भगवान् का जन्म हुआ था । यह स्थान प्राचीन नालन्दा है; जहां पर भ० महावीर का सुखद बिहार हुआ था । यहाँ एक दि० जैन मंदिर में भ० महावीर की अति मनोहर दर्शनीय प्रतिमा है इस स्थान पर ज़मीन के अन्दर से एक विशाल नगर और जिनमूर्तियां निकली हैं, जो देखने योग्य हैं । यहाँ से राजगृह जाना चाहिये ।
राजगृह - पंचशैल (पंचपहाड़ी)
राजगृह नगर भ० महावीर के समय में अत्यंत समुन्नत और विशाल नगर था । शिशुनागवंशी सम्राट् श्रेणिक बिम्बसार की वह राजधानी था । भ० महावीर के सम्राट् श्रेणिक अनन्य भक्त थे; जब २ भ० महावीर का समोशरण राजगृह के निकट अवस्थित बिलाचल पर्वत पर आया तब २ वह उनकी वन्दना करने गये । उन्होंने वहाँ कई जिनमंदिर बनवाये । वहाँ पर दि० जैन मुनिसंघ प्राचीन काल से विद्यमान था । सम्राट् श्रेणिक के समय की मूर्तियां और कीर्तियां यहाँ से उपलब्ध हुईं हैं, जिनमें से किन्हीं पर उनका नाम भी लिखा यह राजगृहनगर प्राचीनकाल से जैनधर्म का
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हुआ है । निस्सन्देह केन्द्र रहा है भ०
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