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चार नशियां भी दिगम्बर आम्नायकी हैं । यहाँ मूलनायक प्रतिमा श्रीअन्तरिक्ष पार्श्वनाथ की चतुर्थकाल की है। यह प्रतिमा अनुमान २॥ फीट ऊँची अधर जमीन से एक अंगुल आकाश में तिष्ठे है।
नागपुर स्टेशन से एक मील दूर जैन धर्मशाला में ठहरे । यहां कुल १२ दि० जैन मंदिर हैं। अजायबघर, चिड़ियाघर, मिल आदि देखने योग्य स्थान हैं । यहाँ से कारंजा होकर ऐलिचपुर जाना चाहिये । एलिचपुर से परतवाड़ा होता हुआ मुक्तागिरि जावे । इन स्थानों में भी दर्शनीय जिनमंदिर हैं।
मुक्तागिरि यहाँ तलहटी में एक जैन धर्मशाला और एकमंदिर है । यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य अपूर्व है। तलहटी से दो फर्लाङ्ग की चढ़ाई है। पहाड़ पर सीढ़ियां बनी हुई हैं । कहते हैं कि इस स्थान पर बहुत से मोतियों की वर्षा हुई थी, इसलिये इसका नाम मुक्तागिरि पड़ा है । परन्तु यह ज्यादा उपयुक्त है कि निर्वाणक्षेत्र होने के कारण वह मुक्तागिरि कहलाया। पर्वत पर कुल २८ मंदिर अति मनोज्ञ हैं। अधिकांश मंदिर प्रायः १६वीं शताब्दी के बने हुए हैं। परन्तु कोई-कोई मंदिर बहुत प्राचीन हैं । एक ताम्रपत्र में इस पवित्र स्थान से सम्राट् श्रेणिक बिम्बसार का सम्बन्ध प्रमाणित होता है । यहाँ ४० वें नं० का मन्दिर पर्वत के गर्भ
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