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इनमें से कुछका जीर्णोद्धार लाखों रुपये खर्च करके कियागया है। कई मन्दिर बहुत ही टूटी अवस्था में हैं और उनका जीर्णोद्धार होने की आवश्यकता है। यहां के दर्शन कर लारी से बड़वानी जाना चाहिये ।
बड़वानी - चूलगिरि (बावनगजा )
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बड़वानी एक सुन्दर व्यापारिक नगर है । यहां एक बड़ा भारी दि० जैन मन्दिर है एक पाठशाला और दो धर्मशालायें हैं। बड़वानी का प्राचीन नाम सिद्धनगर सिद्धनाथ के विशाल मन्दिर के कारण प्रसिद्ध था । यह मंदिर मूलतः जैनियों का है; परन्तु अब हिन्दुओं ने उसमें महादेव की स्थापना कर रक्खी है।
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बड़वानी से दक्षिण की ओर थोड़ी दूर पर चूलगिरि नामक पर्वत है । यहां से इन्द्रजीत और कुम्भकर्ण मोक्ष गये हैं। यहां तलहटी में दो दि० जैन मन्दिर और दो धर्मशालायें हैं । यह मन्दिर बड़े रमणीक हैं । एक मन्दिर में एक बावनगजा जी की खड़गासन प्रतिमा महा मनोहर शान्तिप्रद और अनूठी है। यह पहाड़ में कोरी हुई ८४ फीट ऊंची है और श्री ऋषभदेव जी की है। किन्तु कुछ लोग उसे कुम्भकर्ण की बताते हैं । उसीके पास एक नौगज की प्रतिमा इन्द्रजीत की है। इन दोनों प्रतिमाओं के दर्शन से चित्त प्रसन्न होता है। पहाड़ पर कुल २२ मन्दिर और एक चैत्यालय है । बड़वानी में जैन बोर्डिंग भी है। यहां से
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