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था । जयस्तंभ १२० फीट ऊंचा है । इसे राणा कुंभ ने बनवाया था । इनके अतिरिक्त यहां और भी प्राचीन स्थान हैं । यहाँ से नीमच होता हुआ इन्दौर जावे ।
इन्दौर
इन्दौर संभवतः १७१५ ई० में बसाया गया था। यह होल्कर राज्यकी राजधानी है । यहाँकी रानी अहिल्याबाई जगतप्रसिद्ध है। खंडेलवाल जैनियों की आबादी खासी है। स्टेशन से एक फर्लाङ्गके फासले पर जँवरीवाग़में राव राजा दानवीर सरसेठ स्वरूपचन्द हुकमचन्दजी की नसियाँ है वहीं धर्मशाला है । एक विशाल एवं रमणीक जिन मंदिर है । इसी धर्मशाला के अन्दर की तरफ़ जैन बोर्डिङ्ग और जैन महाविद्यालय भी हैं इसके अतिरिक्त छावनी में दो, तुकोगंजमें एक, दीतवारा में एक, और मल्हारगंज में एक मंदिर है । सर सेठजी के शीशमहल के मंदिर जी में शीशेका काम दर्शनीय है। सेठजी की ओर से यहाँ कई पारमार्थिक जैन संस्थायें चल रही हैं। स्व० शनवीर सेठ कल्याणमल जी द्वारा स्थापित श्री तिलोकचन्द दि० जैन हाईस्कूल भी चलरहा है। इन को भी देखना चाहिये । यहाँ होल्कर कालिज राजमहल श्रादि स्थान देखने योग्य हैं । यहाँ से यात्री को मोरटक्का का टिकिट लेना चाहिये । वहाँ धर्मशाला है और थोड़ी दूर रेवानदी है; जिसे पार उतर कर सिद्धवरकूट जाना चाहिये ।
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