________________
( ४ ) जैन मंदिर केवल दो हैं । (१) भलेश्वर में और (२) गुलालवाड़ी में । इन सब के दर्शन करना चाहिये । इस नगर में यदि वहद् जैन संग्रहालय स्थापित किया जाय तो जैनियों का महत्व प्रगट हो । यहाँ बहुत-से दर्शनीय स्थान हैं, जिनको मोटर बस में बैठकर देखना चाहिये । यहाँ से सूरत जावे ।
___ सूरत-(विघ्नहर पार्श्वनाथ ) सूरत नगर ( B. B. C. I R. ) समुद्र से केवल दस मील दूर है। ईस्टइंडिया कम्पनी के समय से यह व्यापार का मुख्य केन्द्र है। चंदावाड़ी में जैन धर्मशाला है और मंदिर भी है । प्रतिमाय मनोज्ञ हैं। वैसे यहां कुल सात दि० जैन मंदिर गोलपुरा-नवापुरा आदि में हैं । नवापुरा में एक कन्याशाला भी है। चंदाबाड़ी में जैन विजयप्रेस, दि० जैन पुस्तकालय व जैनमित्र ऑफिस आदि हैं; जिनके द्वारा इस शताब्दि में सारे भारत के जैनियों में विशेष जागति और धर्मोन्नति की गई है। सूरत के पास कटार ग्राम में भ० श्री विद्यानन्दजी की चरणपादुकायें हैं-वह उनका समाधिस्थान है । महुआ प्राम भी सूरत के निकट है, जहाँ श्री विघ्नहर पार्श्वनाथ का भव्य मन्दिर है । उसमें भ० पार्श्वनाथजी की मनोज्ञ और प्राचीन प्रतिमा अतिशय-युक्त है, जिसे प्रत्येक वणे के लोग पूजते हैं । सूरत से बड़ौदा जाय।
बड़ौदा बड़ौदा गायकवाड़ नरेश की राजधानी है। यहाँ केवल
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com