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( ६३ ) गुफामंदिर उन्होंने स्वयं वनवाये थे वस्तुतः यह गुफामंदिर बड़ी २ पुरानी ईटों के व पत्थर के ऐसे बने हुये है कि इनकी प्राचीनता स्वतः प्रगट होती है। इनमें भ० पार्श्वनाथ और भ० महावीर की अनठी दर्शनीय प्रतिमायें विराजमान है, जिनकी कला अर्वाचीन नहीं है । पार्श्वनाथस्वामी की प्रतिमा बाल की बनी हुई नौ फीट ऊंची पद्मासन है और उस पर रोगन होरहा है। यहां की यह और अन्य मूर्तियाँ अनूठी कारीगरी की है।
बम्बई भारत का व्यापारिक और उद्योगिक मुख्य नगर है। यहां हीराबाग़ धर्मशाला में ठहरना चाहिये । सेठ सुखानन्द धर्मशाला भी निकट ही है । हीराबारा धर्मशाला स्व० दानवीर सेठ माणिकचन्द्रजी ने बनवाई थी । इसी धर्मशाला में 'श्री भा० दि० जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी' का दफ्तर है, जिसके द्वारा सब दि० जैन तीर्थों का प्रबन्ध होता है । स्व० श्रीमती मगनबाई जे० पी० द्वारा संस्थापित 'श्राविकाश्रम' उल्लेखनीय संस्था है |जुविलीबारा ( तारदेव ) में उसे अवश्य देखने जाय । वहीं पास में श्री दि० जैन बोडिग हौस है, जिसमें चैत्यालय के दर्शन करना चाहिये । चौपाटी में सेठ सा का चैत्यालय अनठा बना हुआ है। वहीं पर श्री सौभाग्यजी शाह का चैत्यालय भी दर्शनीय है । संघपति घासीरामजी का भी एक सुन्दर चैत्यालय है । वैसे दि.
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