SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४८ जैन श्रमण संघ का इतिहास आचार्य श्री विजयामृतसूरिजी sive Growi शासन सम्राट तपोगच्छाधिपति आचार्य नेमिसूरीश्वरजी के पट्टधर शिष्य, शास्त्र विशारद, कवि रत्न, पियूषयपाणि आचार्य श्री विजयामृत सूरीश्वरजी का जन्म सौराष्ट्र प्रदेश में विक्रम संवत् १६५२ माघ शुक्ला अष्टमी के दिन ग्राम बोटाद देशाई कुटुम्ब में हुआ। पिता का नाम हेमचन्द देशाई तथा माता का नाम दिवाली बाई था । विक्रम संवत् १६७१ राजस्थान सिरोही जिला, जावाल ग्राम, ज्येष्ठ मास, में दीक्षा हुई । अहमदाबाद, १६६२ में आचार्य पदवी --मिली । सप्तसन्धान महा काव्य की सरणी नाथ की टीका, कल्पलता व तारिका, वैराग्य शतक आदि ग्रन्थों की रचना की है । पन्यास रामविजयजी गणी, पं० देवविजयजी गणी पं० पुण्य विजयजी गरणी, पं० धुरंधर विजयजी गणी, यं परम प्रभविजयजी गणी आदि बड़ े विद्वान् तथा प्रतिष्ठित शिष्यगण है । आपके उपदेश से 'बम्बई, उपनगर बोरीवली पूर्व दौलत नगर में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मन्दिर श्री अमृत सूरीश्वरजी ज्ञान मन्दिर, श्री वर्धमान तप ||||||||||||| H पुण्योदय शाला, तथा वर्धमान तप निवास ये चार स्थायी कार्य अन्तिम चार वर्ष में हुए हैं। बोटाद - में जैन मन्दिर, और ज्ञान मन्दिर, अमदाबाद धामा सुतार पोल में ज्ञान मन्दिर आपके उपदेश हुआ है। पं० श्री प्रियंकर विजयजी गणी संसारी नाम पोपटलाल । जन्मः - विक्रम संवत् १६६६ काश्रावण शुक्ला १५ बुधवार ता. ५-८ १६१४ गुजरात के देहग्राम के पास हरसोली (ग्राम) में पिता नगीनदास गगलदास (डमोडा) वडोदरा । वर्तमान निवास-अमदाबाद जुना महाजन वाडा | माता का नाम माणेक बेन । दशा श्रीमाली । दीक्षा इडर में संवत् १६८६ मार्गशीर्ष शुक्ला एकादसी वृहद्दीक्षा उमा संवत् १६.८६ माघ कृष्णा ६ । गुरु का नाम आ० म० श्री विजयदर्शनसूरिजी । आप व्याकरण न्याय, काव्य, कोष, ज्योतिष तथा धर्म ग्रन्थ के प्रखर पंडित हैं आपकी रचनाएं निम्न हैं:- हेमलघुप्रक्रिया टिप्पणी अलंकृत | शान्तिनाथ जिन पूजा (गुजराती) आदि । सं० २००७ चैत्र कृष्णा १३ को गणी पद तथा वैशाख शुक्ला ३ को अहमदाबाद में पन्यास पद से विभूषित हुए।
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy