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________________ , वर्तमान जैन मुनि - परम्परा An auta Petan MMHHOCKINGLING CHAS खरतरगच्छ श्रमण समुदाय में साध्वियों का स्थान विशेष रूप से उल्लेखनीय है । साधुओं की संख्या ३० के करीब हैं और साध्वियां करीब २२५ हैं । करीब ५० वर्ष पूर्व प्रवर्तिनी पुष्प श्रीजी नामक एक साध्वी हुई उनके और उनकी गुरुबहिन का ही यह सारा परम्परा का विस्तार है। सोहन श्री जी बड़ी उच्चकोटि की साधिका हुई । वर्तमान में भी प्रवर्तिनी वल्लभ श्री जी, प्रमोद श्रीजी, विदुषीरत्न विचक्षणश्रीजी आदि व उनकी शिष्याऐं जैन शासन की शोभा बढ़ा रही हैं। वर्तमान जैन तीर्थों के निर्माण, संरक्षण, जर्णोद्वार और स्थापना में भी खरतरगच्छीय साधु व श्रीपूज्य यति सम्प्रदाय का बड़ा योग रहा है। जैसलमेर सभी कलामय मन्दिर खरतरगच्छ के श्रावकों के बनाये हुए हैं। और उनके आचार्यो के प्रतिष्ठित हैं। इसी तरह बीकानेर आदि में भी जहां २ खरतरगच्छ का अधिक प्रभाव रहा है, अनेक जिनालय साधु यति व श्रीपूज्यों के उपदेश से बनाये गये । कापरडाजी आदि कई तीर्थ इन्हीं के द्वारा प्रसिद्ध हुए। शत्रुंजय, गिरनार राणकपुर, सिरोही आदि अनेक स्थानों में खरतरगच्छ के नाम से मन्दिर हैं । खरतरगच्छीय वर्तमान मुनि समुदाय ( संवत् २०१६ के चातुर्मास ) वीर पुत्र चाचार्य आनन्दसागरजी म० आदि प्रतापगढ़ (राज० ) उ० सुख सागरजी ठा० २ पालीताणा, उ० लब्धि मुनिजी ठा० ५ भुजकच्छ, उ० कविन्द सागरजी बम्बई ३, गण बुद्धिमुनिजी ठा०५ पालीताणा, मुनि चरित्र मुनिजी मोटा रातड़िया, सुमति मुनिजी भारजा, मनीसागरजी पारनेरा ( गु० ) मुनि कांतिसागरजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat १२५ ठाः २ हैद्राबाद, हेमेन्द्रसागरजी गढ़ सीमाना उदयसागरजी चोहटन बाढ़मेर, रामसागरजी, माणेक सागर जो, राजेन्द्र वि. निपुण वि. आदि पालीताणा । साध्वी श्रीविचक्षण श्री जी ठा० ३ सायराबन्दर, साध्वी श्री संपत श्री ठा० २ मनमोहन श्री, दोन श्री कुमुद श्री आदि ठा० ३८ पालीताणा | तपागच्छीय आचार्य श्री कनक सूरीश्वरजी म० का मुनि समुदाय ० श्री कनक सूरिजी ठा० ७ भचाऊ कच्छ । पं० मुक्ति वि० ठा० २ लाकड़िया, कंचन वि० पलारवा । साध्वीजी श्री रतन श्री ठा. १६ भचाऊ, चन्द्रकला श्रीठा० ६ फतेहगढ़, भुवन श्री ८ भुज, उत्तमश्रीठा. १० मांडवी, दिवाकर श्री ३ वांकी, सुभद्रा श्री ठा० ६ रायण, निरंजना श्री ठा० ३ प्रजड़, हेम श्री ४ बीदड़ा चन्द्ररेखा श्री ७ भावनगर, जितेन्द्र श्री ५ सूरत, विधुत प्रभा श्री ठा० ४ आधोई (कच्छ) तपागच्छीय आ० श्री विजय शांति चन्द्रसूरिजी का मुनि समुदाय ० विजय शांतिचन्द्र सूरिजी पं० सोहन विजय जी आदि ठा० ६ बाब | पं०कचन वि. ठा० २ भार भुवन २ पालीताणा, सुज्ञान वि० २ बोरसद, ० २ भरुच | रंजन साध्वी श्री उत्तम श्री ४ बाव, सौभाग्य श्री ठा०८ भामेर, स्वर्ण प्रभा श्री ४ पालीताणा, सोहन श्री ३ बढ़वाण, जीनमति श्री ठा० ४ पालनपुर । www.umaragyanbhandar.com
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
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