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________________ जैन श्रमण संघ का इतिहास H UDAIIMITD-INDUMIDCHIDDHUpdOD DIDID INDIINDIM LADDIHD ODIDIVIDImpaniodURDam पूज्य मोहनलालजी म० का तपागच्छीय अंचल गच्छीय मुनि समुदाय मुनि समुदाय __ आ० दानसागर सूरिजी, श्रा० नेम सागरसूरिजी पं० हीरमुनि ठा० ५ ॐझा, कीर्तिमुनि गोधावी, र मुनि लब्धि सागरजी आदि ठा० ५ घाटकोपर । आ० गुण सागर सुरिजी ठा०२ वींढ मुनिचंदन निणपुमुनि ४ सूरत, दयामुनि ४ राधनपुर, चिदानन्द सागरजी २ नवावास, कीर्ति सा० २ जामनगर, विवेक मुनि मृगेन्द्र मुनि इन्दौर, चारित्र मुनि रातडीया, गजेन्द्र । सागरजी पालीताणा। मुनि पादरली, पुष्प मुनि देपाल पुर, धुरन्धर मुनि साध्वी केशर श्री, मनोहर श्री ठा०८ माटुंगा भुज, नीति मुनि महुड़ा। बम्बई । जयंत श्री हेम श्री सौभाग्य श्री जी आदि ६५ साध्वी कंकु श्री २ नाडोल, गुण श्री ठा. ५ देसूरी साध्वी समुदाय भिन्न २ स्थानोंपर । अन्य ६० साध्वी समुदाय भिन्न २ स्थानों पर। उ० रविचन्द्रजी म० का मुनि समुदाय पार्श्वचन्द्र गच्छीय ___ मुनि हीराचन्दजी रेलडिया ( कच्छ ) साध्वी जी जवेर श्री, दर्शन श्री मोहन श्री, तारा श्री, कांता श्री श्री कुशलचन्द्रगणी वर्य का मुनि समुदाय । मुनिराज पालचन्दजो ठा० ३ रायण कच्छ, तपागच्छीय त्रिस्तुतिक मनि समुदाय वृद्धिचन्दजी २ अहमदाबाद, भक्तिचन्दजी २ खंभात, विद्याचन्दजी २ पालीताणा, प्रीतिचन्दजी २ देशालपुर आ० श्री विजय यतीन्द्रसूरिजी आदि रतलाम । साध्वी खांति श्री, प्रीति श्री आदि खंभात जंब श्री, मुनि न्याय वि० ठा०२ सियाणा, पूर्णानन्द वि० ठा. २ शणगार श्री, जीव श्री, चम्पक श्री आदि ५० साध्वी सीतामऊ, लावण्य वि० ठा०४ पावा। समुदाय भिन्न भिन्न स्थानों पर। मुनि जयविजयजी मोधरा, मुनिलब्धि विजय जी कमलविजयजी बामनवाड़ जी। पं० दयाविमलजी म० (तपा०) का मुनि समुदाय यति समुदाय श्रा० रंग विमलसूरिजी ठा० ३ जुनाडीसा, पं० श्री पूज्य श्रा० जिन विजयसेन सूरिजी, लखनऊ। पुण्य विमलजी २ डुगरपुर, शांति विमलजी ठा०४ , विजयेन्द्रसूरिजी, जीयागंज । अहमदाबाद, रवि विमलजी २ भान्डप बम्बई, देव ,,, धरणेन्धद्रसूरिजी, कलकत्ता । विमलजी महुडी, प्रेम वि० पाटन, सुरेन्द्र वि० ,, हीराचन्दसूरिजी, बनारस । भावनगर इन्द्र वि० नडीयाद तथा सिंह विमलजी यति श्री हेमचन्द्रजी जामनगर, सुन्दर ऋषिजी कुचेरा। खामगाँव, जयनिधानजी कोचीन, माणेक सागरजी, साध्वी श्री लक्ष्मी श्री, ज्ञान श्री, गुण श्री मंगला भीडर, यतीन्द्र विजयजी, जेरूचीजी, महीमा वि. श्री आदि ठा० ६० के करीब भिन्न २ स्थानों पर। लक्ष्मीसागरजी पालीताणा, सुरेशचन्दजी धुलिया। Shree Sudhammaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
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