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________________ जैन श्रमण संघ संघठन का वर्तमान स्वरूप ११५ unoII IITDHIDAILD AND DILDLUMID 111115-IIA is INDAIN DHUMIN HINDI DID in In to IN THIDIDI तपागच्छीय वर्तमान मुनि मण्डल ['वर्तमान मुनि मंडल' की जानकारी कराने हेतु उनके इस वर्ष यानी विक्रम संवत् २०१६ सन् १९५६ की चातुर्मास सचि यहाँ दे रहे हैं । इस सचि में सभी स्थानों पर विराजमान मुनिराजों के नाम समाहित हैं, यह नहीं कहा जासकता। हम अधिक से अधिक जो जानकारी प्राप्त कर सके हैं उसी के आधार पर ही यह नामावली मुख्य मुनिराजों के नाम देकर उनके साथी मुनियों की ( ठाणा ) संख्या तथा स्थान दे पारहे है । यह अधिक संभव है कि इसमें कई मुनिराजों के नाम आदि छूट मये हों, इस छूट के लिये क्षमा प्रार्थी हैं । -लेखक) शासन सम्राट आचार्य श्रीमदविजय पं० परम प्रभ विजयजी गणी ठा० ३ शीहोर सौ. नेमी सूरीश्वरजी महाराज का मुनि समुदायः- पं० महिमा प्रभ वि. भालक (गु०) आ. विजय दर्शन सरिजो, . जयानन्द वि० मुनि विबुध वि०, भानुचन्द्र वि. आदि ठा. ४, गणी ठा० ६ नमीदर्शन ज्ञानशाला पालीताणा। १४१५ शुक्रवार पैठ मद्रास पा० विजयोदय सूरिजी, उ. सुमित्र वि०, उ० मुनि विज्ञान वि०, भक्त वि०, ठा. ३ दौलत नगर मोती विजयजी, ५० कमल विजयजी ठा. १२ जेसर अमृतसूरिजी ज्ञानमन्दिर बोरीवली बम्बई ४८ (पालीताणा) मुनि चन्द्र प्रभ विजयजी शांति भुवन पालीताणा आ० विजय नन्दन सरिजी ठा०५ जैन साहित्य मुनि राजेन्द्र वि०, जसकोर धमशाला पालीताणा मन्दिर पालीताणा। . मुवि चिदानन्द वि० ककुयाई धर्म शाला पालीताणा आ. विजयामृत सरिजी, आ. पद्म सरिजी, मुनि निरंजन विजयजी आदि पांजरापोल अहमदाबाद ।। साध्वी वर्ग आचार्य विजय लावण्य सूरिजी ६० दक्षविजय साध्वी कंचन श्री ठा० ५, सुशीला श्री ठा० ६, नी, पं० सुशोल विजयजी ठा० ६ वल्लभी पुर। सद्गुण श्री ठा० ३, चन्दोदय श्री ठा० ३, राजेन्द्र आ. जितेन्द्र सरिजी ठा० ४, महुवा। श्री ठा० १०, नाम श्री ठा० २, सोमलता श्री ठा. २, उ० मेरु विजयजी, पं० देव वि. आदि ठा०५ विद्या श्री ठा०२, सुशाला श्री ठा० १ दीप श्री पायधुनी आदिश्वर धर्माला बम्बई ३। १, सयम श्री १, मंजुला श्री १, महोदया श्री १, भुपेन्द्र 40 यशोभद्र वि० गणी, पं० शुभंकर वि०५० श्री १, आदिपालीताणा। कीर्तिचन्द्र वि० ठा० ११ साहूकार पैठ मद्रास ३।। पं० पुण्य विजयजी गणी, पं. धुरन्धर वि० आदि साध्वी कांता श्री ठा०२ भावनगर, देवेन्द्र श्री ठा०४ इरलात्रिज करमचन्द पौषधशाला बीर्लेपले ठा० ४ सूरत, हेम प्रभा श्री ठा० ४ जेसर (सौ.), बम्बई २४ । शांति श्री ठा०४ तलाजा। Shree Sudhammaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
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