________________
wwwwwwwwwwwww.mm
जैन-रत्न
m mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm. प्रकारकी भिन्न भिन्न कलाओंमें निपुण हो गये। इस लिए उनकी अलग जातियाँ ही बन गई। उनकी पाँच जातियाँ हुई। १-कुंभार; २ चित्रकार; ३ वार्षिक (राज) ४-जुलाहा; ५नाई। __ अनासक्त होते हुए भी अवश्यमेव भोक्तव्य कर्मको भोगनेके लिए, विवाहके पश्चात छः लाखसे कुछ न्यून पूर्वे वर्ष तक प्रभुने सुमंगला और सुनन्दाके साथ विलास किया । सुमंगलाने १४ महास्वप्नों सहित चक्रवर्ती भरत और ब्राह्मीको एक साथ प्रसवा सुनन्दाने भी बाहुबलि और सुन्दरीका जोड़ा प्रसवा । तत्पश्चात सुमंगलाने ४६ युग्म पुत्रोंको और जन्म दिया । इस तरह प्रभुके कुल मिलाकर१००पुत्र और २ कन्याएँ उत्पन्न हुए।* ___ * एक सौ पुत्रों के नाम-१-भरत; २-बाहुबलि; ३-शंख; ४विश्वकर्मा, ५-विमल; ६-सुलक्षणः, ७-अमल; ८-चित्रांग; ९-ल्यात कीर्ति; १०-वरदत्त; ११-सागर; १२-यशोधर; १३-अमर; १४-रथवर; १५-कामदेव; १६-ध्रुव; १७-वत्सनंद; १८-सुर; १९-कामदेव; २०ध्रुव, २१-वत्सनंद; २२-सुर; २३-सुवृंद२४-कुरु; २५-अंग; २६बंग; २७-कौशल; २८-जीर; २९-कलिंग; ३०-मागध, ३१-विदेह; ३२-संगम; ३३-दशार्ण; ३४-गंभीर; ३५-वसुवर्मा, ३६-सुवर्मा, ३७-राष्ट्र; ३८-सौराष्ट्र; ३९-बुद्धिकर; ४०-विविधकर; ४१-सुयशा; ४२-यशःकीर्ति; ४३-यशस्कर; ४४-कीर्तिकर; ४५-सुरण; ४६ ब्रह्मसेन; ४७-विक्रान्त; ४८-नरोत्तम; ४९-पुरुषोत्तम; ५०-चंद्रसेन; ५१महासेन; ५२-नभसेन; ५३-भानु, ५४-सुकान्त; ५५-पुष्पयुत; ५६श्रीधर; ५७-दर्दश; ५८-सुसुमार; ५९-दुर्जय; ६०-अजयमान; ६१सुधर्मा; ६२धर्मसेन; ६३-आनंदन; ६४-आनंद; ६५-नंद; ६६-अपराजित; ६७-विश्वसेन; ६८-हरिषण; ६९-जय; ७०-विजय; ७१विजयंत; ७२-प्रभाकर; ७३-अरिदमन; ७४-मान, ७५-महा बाह; Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com