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________________ श्रीआदिनाथ-चरित चतुरंगिनी सेनासे उसे सशक्त बनाओ। वह तुम्हारे सारे दुःखोंको दूर करेगा।" ___ उन्होंने कहा:-" हम आपहीको राज्याभिषेक करना चाहते हैं।" __ प्रभुने कहा:--"तुम नाभि कुलकरके पास जाओ। वे आज्ञा दें उसको राज्याभिषेक करो।" लोग नाभि कुलकरके पास गए। उन्होंने कहा:-"ऋषभको तुम अपना सजा बनाओ।" ___ लोग वापिस लौटकर आये बोले:--" आपहीको राज्याभिषेक करनेकी नाभि कुलकरने हमें आज्ञा दी है।" लोग विधि जानते न थे। उन्होंने पहिली बार ही राज्याभिषेककी बात सुनी थी। वे केवल जल चढ़ानेहीको अभिषेक करना समझकर जल लेने गये। उस समय इन्द्रका आसन काँपा। उसने अवधिज्ञान द्वारा प्रभुके राज्याभिषेकका समय जाना । उसने आकर राज्याभिषेक कर प्रभुको दिव्यावस्त्रालंकारासे अलंकृत किया। इतनेहीमें युगलिये पुरुष भी कमलके पत्रोंमें जल लेकर आ गए। वे प्रभुको वस्त्राभूषणोंसे अलंकृत देखकर आश्चर्यान्वित हुए । ऐसे सुन्दर वस्त्राभूषणोंपर जल चढ़ाना उचित न समझ उन्होंने प्रमुके चरणोंमें जल चढ़ाया और उन्हें अपना राजा स्वीकारा । इन्द्रने उन्हें विनीत समझ उनके लिए एक नगरी निर्माण करनेकी कुबेरको आज्ञा दी और उसका नाम विनीता रखनेको कहा। फिर वह अपने स्थान पर चला गया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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