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________________ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन १३९ है। अगर आप कुछ करें तो ठोक वरना यहाँसे लौकेगच्छका नाम उठ जायगा।" ____साहर्जा शिवलालजीने - खबर कराई और उन्हें पता चला कि बनेड़े नगराजर्जा महाराज हैं । उन्होंने नगराजजी महाराजको लिखा,-" आप यहाँ पधारिए मैं आपको दो हजारका गाँव नागीरमें सरकारम दिला दूँगा।" उन्होंने जवाब दियाः-“ मैं राजअंश नहीं लेता। मैं उदयपुर आना भी नहीं चाहता।" साहर्जाने फिर लिखा,-" अगर आप न आवे तो अपने किसी शिष्यको ही भेज दें। अगर आप ऐसा न करेंगे तो यहाँसे लौंकागच्छका नाम उठ जायगा । इसका पाप आपको होगा।" महाराजने बहुत सोच विचारके बाद अपने शिष्य चतुरभुनर्जाको उदयपुर भेना और उन्हें कहाः-" वहा, राजसे एक. रुपये रोजकी जागीरीसे अधिककी जागीरी मत लेना और वह भी चार जगहसे लेना।" साहजी शिवलालजीने चाहा कि इनको ज्यादा जागीर मिले; मगर चतुरभुजजी महाराजने यह बात मंजूर न की। नगराजजी महाराजने लिखा अगर तुम ज्यादा आमदनी दिलाओगे तो मैं अपने शिष्यको वापिस बुला लूंगा।" इसलिए चतुरभुननी महाराजको निम्नलिखित प्रकारसे धर्मादा मिलनेका हुक्म महाराणाजी श्री भीमसिंहजीने दिया । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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