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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध) बाईके साथ हुआ था । इनके ५ संतान हैं । २ पुत्र अरविंद
और जयंती व ३ पुत्रियाँ सरला, चंद्रकला और सुलोचना हैं । __मोहनलालभाईके दादा भीखाभाई उर्फ गुलाबचंद्रजी वांसदा स्टेटके दीवान थे।
इनको ज्योतिष, वैद्यक, योग और दर्शनशास्त्रोंका अच्छा ज्ञान है।
सन १९२६-२७ में श्वेतांबर जैन कॉन्फरेंसके ये सेक्रेटरी थे । कॉन्फरेसका बंबई में स्पेशल सेशन भरनेमें इन्होंने बहुत महनत की थी।
महावीर जैनविद्यालयकी रिलिजिअस इन्स्ट्रकशन कमेटीके ये मेम्बर हैं। धार्मिक परीक्षाओंके ये प्रायः परीक्षक रहा करते हैं।
ये स्त्रीशिक्षाके हिमायती हैं। इन्होंने अपनी धर्मपत्नीको गुजरातीका अच्छा ज्ञान कराया है और कुछ संस्कृत भी सिखला दी है।
इनका सार्वजनिक जीवन मोहनलाल जैन लाइब्रेरीके मंत्रीपदसे हुवा था।
इन्हें व्यायामका बडा शौक है । कसरतोंमें इन्हें कई इनाम भी मिले हैं।
इनका स्वभाव मिलनसार और शांत है।
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