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________________ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन १२३ प्रदर्शिनी । खिलाफत कमेटीसे इनको एक गोल्ड मेडल भी मिला था । इन्होंने उस मौके पर एक गोलमेज बनाई थी । उसमें कांग्रेसका इतिहास था । इनके विचार स्वतंत्र हैं । अन्तर्जातीय खानपान और विवाहके पुरस्कर्ता और विधवाविवाहके हिमायती हैं। लग्न - त्याग भी ठीक समझते हैं। हिन्दुमुस्लिम एकतामें देशका उद्धार समझते हैं । देशके लिए ये जेल भी जा चुके हैं । श्रीयुत मोहनलाल भगवानदास जौहरी सॉलिसिटर श्रीयुत मोहनलालजी के पिताका नाम भगवानदासजी था, और वे जवाहरातका धंधा करते थे । ये जातिसे दसाश्रीमाली और धर्मेंस श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन हैं। ये मूल सूरतके रहनेवाले हैं और अब बंबई में रहते हैं । ये बी. ए. में सम्मानपूर्वक उत्तीर्ण हुए थे। B.A. ( Hounours ) और फिर LL. B. पास करके सॉलि मिटर बने । इनका ब्याह इनकी १९ बरसकी आयुमें श्रीमती कलावती www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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