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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध )
१०००) लेडी नार्थकोट हिन्दु आर्फनेन बंबईके अंडमें। १२५०) घायल जापानियों की शुश्रूषाके लिए जो कंड हुआ
उसमें। ३०००) जैन मंदिरों के जीर्णोद्धारके लिए । ७५००) जैन यतिपाठशाला पालीताने को । १२०००) जैनधर्मप्रसारक वर्ग पालीताने को । ६०००) बंबई युनिव्हरसिटको स्वर्गीय करमशी दामनी
स्कॉलर्शिप खाते। ५००००) सर वसननी त्रिकमनी और खेतसी खीसमो जैन
बोर्डिंग पालीताने में । २२५००० सन् १९११ में उन्होंने रोयल इन्स्टिट्यूट ऑफ
सायंसको दिये थे। उसीसे वसननी विक्रमजीके नामकी एक लायब्रेरी वहीं चल रही है। रोयल इन्स्टिट्युटको उन्होंने सवा दो लाख रुपयेकी सखावत की इसीसे खुश होकर गवर्नमेंटने उनको 'सर नाइट' की पदवी दी थी। यह पदवी कच्छी जैन
समाजमें सबसे पहले इन्हींको मिली थी। लोगोंका कहना है कि, उन्होंने करीब तेरहलाख रुपयेका दान दिया था।
विद्या और विद्वानोंके वे आश्रय थे। कई प्रसिद्ध प्रसिद्ध
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