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________________ जैनरत्न ( उतरार्द्ध) ५-कच्छके रायण मित्रमंडलने मानपत्र दिया । इन परके विश्वास और इनकी सेवातत्परतासे ही जैन ममाजने इन्हें अनेक नवाबदारीके काम सौंप रक्खे हैं। १-कच्छी वीसा ओसवाल जैन बोर्डिंग माटुंगाके ये प्रमुख थे और ट्रस्टी हैं। २-कच्छी वीसा ओसवाल देहरावासी जैन पाठशाला और कन्याशालाके ये प्रमुख हैं। ३-कच्छी वीसा ओसवाल देहरावासी जैनसंघकी मिल्कत और फंडके ये ट्रस्टी हैं। ४-आनंदनी कल्याणनीकी पेढी पालीतानेके, ये बंबई संघकी तरफसे, प्रतिनिधि हैं । ५-लालबागका मंदिर इन्हींकी देखरेखमें तैयार हुआ था । ६-सं० १९८२ में बंबईमें सिद्धाचलजीके झगड़ेके बारेमें स्पेशल श्वेतांबर जैन कॉन्फरेंस हुई थी। उसकी स्वागत समितिके ये प्रमुख थे। ७-जुन्नेर (दक्षिण) में श्वेतांबर जैन कॉन्फरेंस सं० १९८६ में हुई । उसके ये प्रमुख थे। यह वह मान है, जो श्वेतांबर जैन समान अधिकसे अधिक किसीको दे सकता है । जुन्नेर गये तब ये अपनी स्पेशल लेकर गये थे । बंबईके तीन सौ प्रतिनिधि इनके साथ इनकी स्पेशलमें गये थे । सबकी व्यवस्था खानपानादि सहित इन्हींने की थी। प्रमुखपदसे इन्होंने जो माषण किया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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