SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 618
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ~ श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन वह बड़े ही महत्त्व का था। इनकी स्पष्ट वादिता और हिम्मत सराहनीय थे। 'बालदीक्षा' के संबंध जो तूफान जैन समाजमें उठ रहा है, उसमें अपने मगनको समतोल रखना बड़ा ही कठिन काम था। यह कठिन काम इन्होंने किया । ___इस अवसर पर इन्होंने सुकृत फंडमें ढाई हजार रुपये और जुन्नरमें दूसरी संस्थाओंमें दो हजार रुपये दिये थे। इनके लग्न दो हुए थे। पहला लग्न श्रीमती माबाईके साथ हुआ था। इनसे दो सन्तानें हुई । एक लड़का रामजी और लड़की पानबाई । लड़के रामजीभाईका जन्म सं० १९५७ में हुआ । इन्होंने मेट्रिक तक अभ्यास किया। रामनीका व्याह सं० १९७० में देवकांबाई के साथ हुआ । इनके एक कन्या रतनबाई और तीन पुत्र कल्याणजी, हंसराज और जादवजी हैं। पानबाईका जन्म सं० १९६३ में हुआ, और उनके लग्न सं० १९७० में प्रेमजी गणसीके साथ हुए । रखनी सेठका दूसरा ब्याह सं० १९६९ में श्रीमती कंकूबाईके साथ हुआ । इनके मणिबहन नामकी एक कन्या है। ३ पालणभाई ये सोनपाल सेठके तीसरे पुत्र हैं । इनका जन्म सं० १९३९ के वैशाखमें हुभा। इनके तीन लग्न हुए। पहला ब्याह श्रीमती मीठाबाईके साथ हुआ । उनके एक कन्या नेणबाई । दूसरा ब्याह देवकाबाईके साथ हुमा । उनसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy