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जैन- दर्शन
मनुस्मृतिके पाँचवें अध्याय के पाँचवें, उन्नीसवें आदि श्लोकोंमें
आदि शब्दों द्वारा,
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लशुनं गृञ्जनं चैव पलाण्डुं " लहसन, गाजर, प्याज आदि अभक्ष्य चीजें खाने की मनाई की गई है । बैंगन, प्याज, लहसन आदि पदार्थ तामस स्वभावको पुष्ट करने वाले होते हैं । शिवपुराण ' ' इतिहासपुराण' आदि ग्रंथोंमें भी ऐसे अभक्ष्य पदार्थ खानेका पूर्णतया निषेध किया गया है ।
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जैन सिद्धान्तानुसार कठोळ ( उड़द, मूँग, चने आदि ) के साथ कच्चा गोरस (दूध, दही, छास ) खाना मना है । पद्मपुराणका निम्नलिखित श्लोक भी इस बातको पुष्ट करता है:
" गोरसं माषमध्ये तु मुनादिके तथैव च ।
भक्षयेत् तद् भवन्नूनं मांसतुल्यं युधिष्ठिर, ॥ " भावार्थ हे युधिष्ठिर, उड़द और मूँग भादिके साथ कच्चा गोरस खाना मांस खाने के बराबर है ।
इसके अतिरिक्त शहद खाना भी जैन - आचारशास्त्रों और हिन्दु धर्मशास्त्रों द्वारा वर्ज्य है । महाभारत आदि ग्रंथोंमें इसके लिए विशेष रूप से उल्लेख है ।
रात्रिभोजनका निषेध |
रात्रि में भोजन करना भी अनुचित है । इस विषयका पहिले अनुभवसिद्ध विचार करना ठीक होगा । संध्या होते ही अनेक सूक्ष्म जीवोंके समूह उड़ने लगते हैं । दीपकके पास, रातमें बेशुमार जीव फिरते हुए नजर आते हैं। खुले रखे हुए दीपकपात्रमें, सैकडों जीव पड़े हुए दिखाई देते हैं । इसके सिवा रात होते ही अपने शरीर पर भी अनेक जीव बैठते हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता
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