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________________ २४ श्री महावीर स्वामी-चरित ४१७ राजा श्रेणिकके हल्ल और विहल्ल नामक दो लड़के भी थे । श्रेणिकने उन्हें महामूल्यवान हल्ल विहल्लको दीक्षा कुंडल और सेचनक नामका हाथी दिये थे । श्रेणिकका लड़का कूणिक श्रेणिकको कैदकर राज्यपर बैठा । फिर उसने हल्ल विहल्लसे कुंडल और हाथी लेना चाहा । इससे हल्ल व विहल्ल अपने मामाके पास विशाला नगरी चले गये । मामा चेटकने उनको आश्रय दिया । कूणिकने विशालापर चढ़ाई की महान युद्धके बाद कूणिक जीता और हल्ल विहल्ल संसारसे उदास हो भगवान महावीर स्वामीके पास गये । और उपदेश सुन, वैराग्य पा प्रभुके पाससे उन्होंने दीक्षा ग्रहण की। * प्रभु विहार करते हुए चंपानगरीमें पधारे । वहाँ श्रेणिक राजाकी अनेक राणियोंने पति और श्रेणिककी पत्नियोंको दीक्षा पुत्रोंके वियोगसे उदास हो प्रभुके पाससे दीक्षा ली। राजा कूणिक * भी प्रभके पास वंदना करने आया और उसने नम्रता पूर्वक हाथ जोड़ कर पूछा:-" भगवन् ! जो चक्रवर्ती उम्रभर भोगको नहीं छोड़ते वे मरकर कहाँ जाते हैं ? प्रभुने उत्तर दिया:--" व मरकर सातवें नरकमें जाते हैं।" कुणिकने फिर पूछा:-" मैं मरकर कहाँ जाऊँगा ?" प्रभु बोले:--" तुम मरकर छठे नरकमें जाओगे।" कूणिकने पूछा:--सातवेंमें क्यों नहीं ?" *इनके विस्तृत चरित्र अगले भागोंमें दिये जायेंगे । २७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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