________________
२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
सुधर्माका शिष्य होगा। जंबू नाम रक्खा जायगा । उसे केवलज्ञान होगा। उसके बाद कोई भी केवली नहीं होगा।"
श्रेणिकन पूछा:-"देवताओंका जब अंतकाल नजदीक आता है तब उनका तेज घट जाता है । इनका तेज क्यों कम . नहीं हुआ ?"
प्रभुने उत्तर दिया:-" इनका तेज पहले बहुत था; इस समय कम है । इनके पुण्यकी अधिकताके कारण इनका तेज एक दम चला नहीं गया है।" उसी समय एक कोढ़ी पुरुष आकर वहाँ बैठा और अपने
शरीरसे झरते हुए कोढ़को पोंछ पोंछमेंडकसे देव कर प्रभुके चरणोंमें लगाने लगा।
यह देखकर श्रेणिकको बहुत क्रोध आया । प्रभुका इस तरह अपमान करनेवाला उन्हें वध्य मालूम हुआ; परंतु प्रभुके सामने वे चुप रहे । उन्होंने सोचा,-जब यह यहाँसे उठकर जायगा तब इसका वध करवा दूँगा।
प्रभुको छींक आई । कोढ़ी बोला:-" मरो।" कुछ क्षणोंके बाद राजा श्रेणिकको छींक आई । कोढ़ी बोला:" चिर काल तक जाते रहो।" कुछ देरके बाद अभयकुमारको छींक आई । कोढ़ी बोला:--"मरो या जीओ।" उसके बाद कालसौकरिकको छींक आई । कोढ़ी बोला:-" न जी न मर ।" ___ कोढ़ीने जब महावीर स्वामीको कहा कि मरो तब तो श्रेणिकके क्रोधका कोई ठिकाना ही न रहा । उसने अपने सुभ
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com