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२४ श्री महावीर स्वामी चरित
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वीर जानकर प्रसेनजितने राज्यगद्दी दी । प्रसेनजितने राजगृह
नगर बसाया था ।
श्रेणिक बौद्ध धर्मावलंबी शिशुनाग वंशका था । उसकी पहिली शादी वेणातटपुरके भद्र नामक श्रेष्ठीकी कन्या से हुई थी । उससे उसके अभयकुमार नामका एक पुत्र था ।
अनेक वरसोंके बाद, जब अभयकुमार श्रेणिकका मंत्री था तब, श्रेणिकने वैशालीके अधिनायक चेटककी एक कन्या माँगी । चेटकने यह कहकर कन्या देनेसे इन्कार किया कि, " हैहय वंशकी कन्या वाहीकुल ( विदेहवंश ) वालेको नहीं दी जासकती । " अभयकुमार युक्ति करके चेटककी सबसे छोटी कन्या चेल्लाको हर लाया था । चेल्लणासे श्रेणिकके एक पुत्र हुआ । उसका नाम कोर्णिक था !
१. कुशाग्रपुरमें बहुत आगलगनेसे प्रजा बहुत दुखी होती थी । इससे राजाने हुक्म निकाला कि जिसके घरसे आग लगेगी वह शहर बाहर निकाल दिया जायगा । दैवयोगसे राजाहीके यहाँसे इस बार आग लगी। अपने हुक्मके अनुसार व्यवहार करनेवाले न्यायी राजाने शहर छोड़ दिया और एक माइल दूर डेरे डाले । धीरे धीरे वहाँ महल बनवाये और लोग भी जा जाकर बसने लगे । आते जाते लोगोंसे कोई पूछता, - " कहाँ जाते हो ? " वे जवाब देते, -“ राजगृह ( राजाके घर ) जाते हैं ।" इससे उस शहरका नाम राजगृह पड़ गया ।
२ - जैनशास्त्रोंमें इसका दूसरा नाम अशोकचंद्र और बौद्धग्रंथों में इसका नाम अजातशत्रु लिखा है । इसने अपने पिता राजा श्रेणिकको कैद करके मार डाला था । श्रेणिकका और इसका विस्तृत वृत्तान्त जैनरत्नके अगले भाग में दिया जायगा ।
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