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________________ जैन - रत्न राणी चेल्लणा जैन थी और श्रेणिक बौद्ध | चेल्लणाके अनेक यत्न करनेपर भी श्रेणिक जैन नहीं हुआ । एक बार श्रेणिक बगीचे में फिरने गया था । वहाँ एक युवक जैन मुनिको घोर तप करते देखा । उसके तप और त्यागको देखकर श्रेणिकका मन जैनधर्म की ओर झुका । भगवान महावीर विहार करते हुए राजगृह में आये । श्रेणिक महावीर के दर्शन करने गया और उपदेश सुन परम श्रद्धावान श्रावक हो गया । मेघकुमार, नंदीषेण आदिने, अपने माता श्रेणिक के पुत्र, पिताकी आज्ञा लेकर दीक्षा ले ली । प्रभु विहार करते हुए, एक बार ब्राह्मणकुंड गाँव में आये । देवताओं ने समवशरण रचा । समवशरणमें देवानंदा और ऋषभदत्त भी आये । महावीरको देखकर देवानंदाके स्तनोंसे दूध झरने लगा | वह एक टक महावीर स्वामीकी तरफ देखने लगी । गौतम गणधरने I इसका कारण पूछा। महावीर ने कहाः “ मैं बयासी दिन तक इसकी कोख में रहा हूँ । इसी लिए वात्सल्य भावसे इसकी ऐसी हालत हुई है । " - फिर महावीर स्वामीने धर्मोपदेश दिया । देवानंदा और ऋषभदत्तने दुनियाको असार जानकर दीक्षा ले ली । प्रभु विहार करते हुए एक बार क्षत्रियकुंड आये । वहाँ राजा नंदिवर्द्धन और प्रभुका जमाई ' जमाली ' अपने परिवारों सहित www.umaragyanbhandar.com ३९० ऋषभदत्त और देवानंदाको दीक्षा जमालीको दीक्षा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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