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________________ २४ श्री महावीर स्वामी-चरित ३८७ ~~ ~ ~ ~ ~~ और दूसरे सात गणधरोंकी प्रत्येककी-भिन्न भिन्न वाचनाएँ हई। प्रभुने त्रिपदीका एकसा उपदेश दिया; परंतु हरेक गणधरने अपने ज्ञान-विकासके अनुसार उसे समझा और तदनुसार सूत्रोंकी रचना की । इससे भिन्न भिन्न वाचनाओंके अनुसार महावीर स्वामीके नौ गणे हुए । ग्यारह गणधरोंके और उनकी वाचनाओंके नाम एक साथ यहाँ लिखे जाते हैं । (१) इन्द्रभूति-प्रसिद्ध नाम गौतम स्वामी। इनकी एक वाचना। (२) अग्नि भूति । इनकी दूसरी वाचना । (३) वायु भूति । इनकी तीसरी वाचना । (४) व्यक्त । इनकी चौथी वाचना । (५) सुधर्मा । इनकी पाँचवीं वाचना । (६) मंडिक । इनकी छठी वाचना । (७) मौर्यपुत्र । इनकी सातवीं वाचना । (८) अकंपित । । इन दोनों गणधरोंकी समान वाचना (९)अचल भ्राता। होनेसे इनकी आठवीं वाचना। (१०) तैतर्य। । इन दोनोंकी भी समान वाचना होनेसे (११) प्रभास। इनकी नवीं वाचना। फिर समयको जाननेवाला इन्द्र उठा और सुगंधित रत्नचूर्ण ( वासक्षेप ) से पूर्ण पात्र लेकर प्रभुके पास खड़ा रहा । इन्द्रभूति आदि गणधर भी मस्तक झुकाकर खड़े रहे । तब प्रभुने यह कहकर कि 'द्रव्य, गुण और पर्यायसे तुमको तीर्थकी १-मुनियोंके समुदायको गण कहते हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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