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________________ २४ श्री महावीर स्वामी-चरित ३७५ कहते हैं कि यह कोई कठिन बात नहीं है। कुछ प्रमाण हमारे इस कथनकी पुष्टिके लिए हम यहाँ देते हैं। (१) स्वायंभू मनु नामके राजा हुए हैं । उन्हींसे मनुष्य सृष्टि चली है । उनको राज्य करते बहुत बरस बीत गये और जब उनका चौथापन आया तब उन्होंने वनमें जाकर घोर तप करना आरंभ किया । छः हजार बरस तक वे केवल जलपर रहे । फिर वे केवल वायुके आधारपर सात हजार बरस तक रहे। (तुलसीकृत रामायण बालकांड ) (२) पं० रामेश्वरानंदजी बंबईमें एक प्रसिद्ध वैद्य हैं । उन्होंने दस बरसमें ३८५ उपवास किये हैं। उनका ब्योरा ईस प्रकार है (१) सन १९२२ में ता. ११ से ३१ अक्टोबर तक २१ (२) सन १९२३ म ता. १२ जनवरी से ता. १४ फरवरी तक ३४ (३) सन १९२३ म ता. २७ अगस्तसे ता, २५ सितंबर तक ३० (४) सन १९२४ में ता.११ जनवरीसे ता. १३ फरवरी तक ३४ (५) सन १९२५ म ता. १ जनवरीसे ३१ जनवरी तक ३१ (६) सन १९२६ में ता. २५ जूनसे ता. २५ जुलाई तक ३० (७) सन १९२७ म ता. १५ जुलाईसे ता. २३ अगस्त तक ४० (८) सन १९२८ म ता. २८ जुलाईसे ता. १० सितंबर तक ४० (९) सन १९२९ म ता. १८ जनवरीसे ता. २६ फरवरी तक ४० (१०) सन १९३० म ता. २६ जुलाईसे ता. ८ सितंबर तक ४४ (११) सन १९३१ में ता. ३० जूनसे ता. १४ अगस्ततक ४५ कुल उपवास ३८९ इनकी उम्र सत्तर और अस्सीके बीचमें है। ३-श्रीयुत नाथूरामजी प्रेमीनें खाँसी और श्वासकी बीमारी किसी तरह अच्छी न होते देख २५ उपवास किये। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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