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________________ ३७४. जैन-रत्न तपोंके नाम संख्या | सब मिलाकर | पारणोंकी दिनोंकी संख्या संख्या १८० १७५ १०८० पूर्ण छः मासी पाँच दिन कम छ: मासी चौमासी त्रिमासी ढाई मासी द्विमासी डेढ मासी मासिक पाक्षिक or oron o wa ora orr pure १५० १०८० अहम ४५८ भद्र प्रतिमा महाभद्र प्रतिमा · सर्वतोमद्र प्रतिमा | ३५१ । १६५ G | ३५०x F तप २२९ हैं परंतु पारणे २२८ ही हुए हैं। इसका कारण यह है कि आखिरी छ? तपका पारणा केवलज्ञान होनेबाद किया था। x प्रतिमाओंमे दो पारणे अधिक माने गये हैं। परंतु ऐसा किये बिना दिनोंका हिसाब नहीं बैठता । गुजराती महावीर स्वामि चरित्रके लेखक श्री नंदलाल लल्लूभाईने भी ३५० पारणे ही माने हैं। यह गिन्ती तीस दिनका महीना मानकर दी गई है। G आजकल यह शंका स्वाभाविक उत्पन्न होती है कि, मनुष्य अन्नजलके बिना जी कैसे सकता है ? बेशक निर्बल मनवालोंके लिए यह बहुत कठिन बात है। जहाँ एक बार भूखा रहना भी बहुत कठिन मालूम होता है वहाँ इतने उपवासोंकी कल्पना भी कैसे की जा सकती है; परंतु अन्य धर्मोंके ग्रंथ और वर्तमानके उपवासचिकित्सा शास्त्री Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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