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________________ २४ श्री महावीर स्वामी चरित ३५७ इस तरह रातभर उपसर्ग सहन करनेके बाद प्रभु बालुक गाँवकी तरफ चले । रस्तेमें संगमने पाँच सौ चोर पैदा किये और बहुतसा रेता बरसाया । चलते समय प्रभुके पैर पिंडलियों तक रेतामें घुसते जाते थे और चोर प्रभुको 'मामा' 'मामा' करके इतने जोरसे सीनेसे चिमटाते थे कि अगर सामान्य शरीर होता तो चूर चूर हो जाता । इसी तरह उसने छः महीने तक अनेक तरहके उपसर्ग किये । विशेष आवश्यकके अंदर संगमने छः महीने तक क्या क्या उपसर्ग किये और महावीर स्वामीने कहाँ कहाँ विहार किया उसका उल्लेख है । हम उसका अनुवाद यहाँ देते हैं। ____“भगवान वालुका गाँवमें पहुंचे और गोचरी गये । वहाँ उसने प्रभुको काणाक्षी रूप-काना-बना दिया, वहाँसे सुभोम गाँव गये, वहाँ हाथ पसारके माँगनेवाले वनाये, वहाँसे सुक्षेत्र गाँव गये । वहाँ विटका ( नटका ) रूप बना दिया । मलय गाँव गये । वहाँ पिशाचका रूप बताया। हस्तिशीष गाँव गये वहाँ उनका शिवरूप (१) बनाया फिर प्रभु मसाणमें जाकर रहे। वहाँ संगमने हंसीकी और इन्द्रने आकर सुखसाता पूछी । प्रभु तोसलिया गाँव गये । वहाँ कुशिष्यका रूप धरकर संगमने एक सेंध लगाई। लोगोंने इन्हें पकड़कर पीटना आरंभ किया। घरमें महाभूति नामके इन्द्रजालिएने प्रभुको पहचानकर छुड़ाया। मोसली गाँव गये। वहाँ भी संगमने शिष्य बन सेंध लगाई। सिद्धार्थके मित्र सुमागधने उन्हें छुड़ाया। पुनः तोसली गांवमें गये । वहाँ चोर समझकर पकड़े गये। लोग रस्सीसे बांधकर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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